कोरोना वपायरसः थमे रेलवे के चक्के

कानपर। देशवासियों ने इमरजेंसी, सिख दंगा व बाबरी विध्वंस को देखा। इस दौरान देश में हाहाकार भी रहा, लेकिन रेलवे के चक्के कभी नहीं थमेपर भारी दिख रहा है। इसी के चलते दो दिनों से रेलवे के चक्के पूरी तरह से जाम हैं और रेलवे के लिहाज से व्यस्ततम कानपर को लॉकडाउन करने का आदेश जारी कर दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आवाहन पर जनता कफ्यू में रविवार को जनता की कानपुर जिस प्रकार सहभागिता मिली वर काबिले तारीफ दी। टसरे दिन लॉकडाउन से भी जनता घरों तक अपने को सीमित रखीवहीं रेलवे ने भी 31 मार्च तक सभी सवारी गाशियों को बंद रहा कि देश में इमरजेंसी लगी, 1984 का सिख दंगा हुआ और 1992 में बाबरी विध्वंस की घटना हुई। इन सभी में कभी कानपुर सेन्ट्रल भी रेलवे के पहिये नहीं थमें पर आज पूरी तरह से रेलवे के पहिये थम चुके हैं। हालांकि कर्मचारियों ने इसका समर्थन भी किया और कहा कि देश को कोराना वायरस की महामारी से बचाने के लिए ऐसा नजारा रहा जब किसी भी पटरी पर ट्रेन नजर नहीं आई। यही नहीं, न तो यात्रियों की भी? रही न ही स्टेशन के बाहर पार्किंग में यात्रियों के वाहनस्टेशन अधीक्षक आरपीएन त्रिवेदी ने कहा कि अपनी नौकरी में मुझे पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है। आगे कहा कि होना भी ऐसा ही चाहिये, कोराना वायरस से लड़ने के लिए जनता ने जो जज्बा दिखाया है वह काबिले तारीफ है। कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर रोजाना हजारों यात्रियों का आवागमन होता है और यात्रियों के आने-जाने से यहां पर भिखमंगों की बडी भिखमगा का बड़ा फौज सदैव बनी रहती थी। इन । सदैव बना रहता था। इन भिखमंगों को भोजन की पर्याप्त व्यवस्था हो जाती थी.